Wednesday, 6 November 2019

पलकों पे जो ठहरा ख़्याल उसका,
नींद रात भर रही ख़फ़ा,
अब जो ख़्याल दफ़्न हो रूह से मिला,
नींद से उठा ना साक़ी इस लम्हा...

Shayro ke lafz...

धुंधले से होते जा रहे हैं सपने हवाओं में कही, शायरों के लफ़्ज़ अब हलके हो चले है...