लोग पुछते हैं मेरे इश्क़ मुक्कमल क्यों ना हो पाये,
क्यों, कहो तो बता दूँ?
कही वो युँही बदनाम ना हो जायें..
तमाम लम्हें हम ईमानदारी करते रहे,
और वो, अदाकारी...
धुंधले से होते जा रहे हैं सपने हवाओं में कही, शायरों के लफ़्ज़ अब हलके हो चले है...
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