Sunday, 5 May 2019

दायरे ख़यालों के,
उलझे रहे हम और तुम
निकलने को मन नहीं...
सुलझा तो ले हम युंही...
सिर्फ़ हम होंगे ख़यालों को ले कर,
पर तुम नहीं...


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