इक बुरा दौर था आना तेरा,
इक बुरा दौर है जाना तेरा,
राहत ना तब थी, राहत ना अब है,
शुक्रगुज़ार है हम बस फ़रेब ही सही,
वो इश्क़ के चार सबक़ सिखाना तेरा....
धुंधले से होते जा रहे हैं सपने हवाओं में कही, शायरों के लफ़्ज़ अब हलके हो चले है...
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