Tuesday, 30 October 2018

इक अरसे से अख़बार नहीं देखा,
इतने मशरूफ़ रहे की इतवार नहीं देखा..

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Shayro ke lafz...

धुंधले से होते जा रहे हैं सपने हवाओं में कही, शायरों के लफ़्ज़ अब हलके हो चले है...